गुरुवार, अगस्त 16, 2007

मेरे अन्दर का कवि

मेरे अन्दर का कवि फिर से जाग गया है (>:) और कुछ ही देर मे दो 'शानदार' poems लिख चूका है।

कविता क्र
कविता क्र २
कविता क्र ३


1 टिप्पणी:

परमजीत सिहँ बाली ने कहा…

आप के अन्दर का जो कवि जागा है...उसे बधाइ देते है ...लेकिन अगर रचनाएं हिन्दी में लिखे तो बेहतर होगा।